कि सवधान लो! अब विराट घृणा के कुंचित ललाट का धीरज छूटता है! लो! अब उद्जन के परम कण का सूर्य-सा शक्ति-स्रोत फूटता है!
2.
लगभग 5560 BCE-800 BCE में गीता का जन्म हुआ-ऐसी मान्यता है, तब से आज तक यह परम कण भारत भूमि की चारों दिशाओं में बिकिरण के माध्यम से अपनी ऊर्जा को भर रहा है ।
3.
परम कण-आत्मा को जो समझता है वह चुप हो जाता है और जो, कुछ बताना चाहते हैं उनको सुननें वाले लोग नहीं होते और यह आत्मा का Quantum Science तब से आज तक मंदिरों की दीवारों को देखा रहा है ।